Madhu Arora

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लेखनी कहानी -23-Feb-2022वक्त चाहती

वक्त चाहती
  बूढ़ीआंखें किसी के आने के इंतजार में,
  टकदरवाजे को ताकती।
  दो पल बच्चों के साथ बैठ बिताने की चाह ,
  अपने दिल में पालती कुछ नहीं मांगती।
  वह आंखें ममता प्यार अपनापन को तरसे,
  पास तुम उनके जाकर बैठो,
   दुनिया भर की बातें कर ले।
   बैठो दिन में कुछ क्षण उनके पास,
   जीवन जीवंत उनका हो जाए।
    कुछ है नहीं कुछ क्षण ही सही ,
     बैठ उनके पास मन हरा भरा सा हो जाए।
    मात-पिता है वह तुम्हारे,
    अनुभव का खजाना उनके पास ।
     वह बूढ़ी आंखें कुछ क्षण,
     किसी का साथ चाहती।
     ममता भरा स्पर्श चाहती,
     दो घड़ी कोई उनकी बात सुन ले।
     बस थोड़ा सा वक्त चाहती।
     प्रतीक्षा करती वह तो हरदम।
     राह निहारे वह तो हरक्षण
     प्यार को तरसे उनका मन।
     वृद्धावस्था इसका है नाम
     और कुछ नहीं चाहिए इनको आज
     अनुभव की यह तो है खान
    ले लो थोड़ा सा ज्ञान इनसे आज।
    प्यार के बोलों को यह तरसे
     दो घड़ी बस साथ चाहे तुम्हारा
     आशीष दे तुम्हें बेशुमार।
     प्रतियोगिता के लिए
    रचनाकार ✍️
         मधु अरोरा
          23.2.2022





        
  

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5 Comments

Ali Ahmad

05-Mar-2022 07:41 PM

Behtarin

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Inayat

05-Mar-2022 01:06 AM

बेहतरीन

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Arshi khan

03-Mar-2022 05:53 PM

Nice

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